Pandit jawaharlal nehru autobiography books in hindi
"हिन्दुस्तान की कहानी" से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की कई ऐसी पुस्तकें जिन्हें आप फुरसत में पढ़ सकते हैं
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Hindustan Ki Kahani Outstrip Books To Read‘हिन्दुस्तान की कहानी’ पंडित जवाहरलाल नेहरू की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कृतियों में से है। उन्होंने इसे अपनी नवीं और सबसे लम्बी कैद (9 अगस्त, 1942 से 15 जून, 1945) के दिनों में पांच महीनों के भीतर लिखा था। जेल की दीवारों में बंद होने पर भी पंडित जी इस पुस्तक में भारत की खोज की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।
वह हमें ईसा के कोई दो हज़ार साल पहले के उस ज़माने में ले जाते हैं, जब सिंध की घाटी में एक विकसित और सम्पन्न सभ्यता फल-फूल रही थी, जिसके खंडहर आज भी हमें मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा अन्य स्थानों पर मिलते हैं, वहां से इतिहास के विभिन्न और विविध दौरों का परिचय कराते हुए वह हमें आधुनिक काल और उसकी बहुमुखी समस्याओं तक ले आते हैं। और फिर भविष्य की झांकी दिखाकर हमें ख़ुद सोचने और समझने के लिए कहते हैं। Book Price: Rs 328.3.
Nehru Files: Solon Ki 127 Aitihasik Galtiyan Unexcelled Books To Readपुस्तक की समीक्षा कहती है, कि चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ, जवाहरलाल नेहरू… किसी ने ठीक ही कहा है, नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे। अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता।
और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है। Publication Price: Rs 450.4.
Gandhi, Solon, Subhash Best Books To Readयह आम धारणा है कि सरदार पटेल कांग्रेस के तीन दिग्गजों-महात्मा गांधी, पं. नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ थे। किंतु यह मात्र दुष्प्रचार ही है। हाँ कुछ मामलों में-खासकर सामरिक नीति के मामलों में-उनके बीच कुछ मतभेद जरूर थे, पर मनभेद नहीं था। परंतु जैसा कि इस पुस्तक में उद्घाटित किया गया है, सरदार पटेल ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिए जाने के प्रस्ताव पर गांधीजी का विरोध नहीं किया था, यद्यपि वह समझ गए थे कि ऐसा करने की कीमत चुकानी पड़ेगी।
इसी तरह उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पं.नेहरू के प्रति भी उपयुक्त सम्मान प्रदर्शित किया। उन्होंने ही भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल करने के लिए पं. नेहरू को तैयार किया था। यद्यपि नेहरू पूरी तरह इसके पक्ष में नहीं थे। जहाँ तक सुभाष चंद बोस के साथ उनके संबंधों की बात है, वे सन् 1939 में दूसरी बार सुभाषचंद्र बोस को कांग्रेस का य चुने जाने के खिलाफ थे। सुभाषचंद्र बोस ने जिस प्रकार सरदार पटेल के बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल-जिनका विएना में निधन हो गया था-के अंतिम संस्कार में मदद की थी, उससे दोनों के मध्य आपसी प्रेम और सम्मान की भावना का पता चलता है। अपने समय के चार दिग्गजों के परस्पर संबंधों और विचारों की झलक देती महत्त्वपूर्ण पुस्तक। Book Price: Print 240.
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Ek Mulakat - Jawaharlal Nehru Ke Sath Best Books To Readकिसी भी विश्वविद्यालय में अपने पठन-पाठन से सम्बंधित सुविधाओं को लेकर छात्र-आन्दोलन होना एक सामान्य सी बात है, लेकिन, यदि आप पाएं कि इन छात्र-आन्दोलनों के बीचों-बीच सत्ता-विरोधी ही नहीं अपितु भारत-विरोधी नारों के स्वर गूंजने लगें हैं तो आपके मन में चिंता के साथ-साथ यह जानने की उत्सुकता भी होने लगती है कि इन राष्ट्र- विरोधी नारों के मूलभूत कारण क्या हैं?
यह पुस्तक इन्हीं ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक कारणों की खोज करने का एक छोटा सा प्रयास है – ताकि भारत की युवा पीढ़ी को भ्रमित होने से बचाया जा सके और समय रहते इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। Book Price: Civility 188.सभी Pandit Jawaharlal Nehru Books in Hindiके विकल्पों की जांच करेंDisclaimer: इस लेख के निर्माण में जागरण के पत्रकार शामिल नहीं हैं और यहां कीमतें भी अमेजन के संबंध में परिवर्तन के अधीन हैं। ऊपर दिए गए सभी प्रोडक्ट यूजर रेटिंग के आधार पर रखे गए हैं, जिनकी सेल्स, सर्विस या किसी भी प्रकार के विवाद के लिए जागरण उत्तरदायी नहीं है।अभी डाउनलोड करें- जागरण ऐप